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अनुभूति में शील भूषण  की रचनाएँ-

छंदमुक्त में-
अपना अपना सा
अब और नहीं
तड़पन
मेरा अपना सत्य
शून्य-सा जीवन

 

शून्य-सा जीवन

अम्बर मे उगते
इन्द्रधनुष की तरह
कभी
मैंने भी
सतरंगे सपने संजोये थे
जो
इन्द्रधनुष की तरह ही
थोड़ी देर
अपनी मोहक एवम लुभावनी
झलक दिखाकर
न जाने ......कहाँ
खो भी गए
और
रह गया पीछे
नीले अम्बर -सा
मेरा
विस्तृत ,गंभीर व शून्य -सा जीवन

१६ जनवरी २०१२

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