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अनुभूति में श्यामसुंदर दुबे की रचनाएँ

गीतों में—
आभार
परदादा की चौखट
बदले कायदे
मानुष चौपाया

 

 

परदादा की चौखट

चहकी चिड़िया
फिर भिनसारे
कागा बोला फिर मुँडेर पर
गलफाँसी को कौन निबारे!

खुली किवरियाँ
दादा बैठे
परदादा की चौखट दाबे,
लिए खतौनी
मिला रहे हैं
ब्याज-त्याज के कर्ज़-कुलाबे,

अंधाधुंध में
जेठ मास की
जेठी बिटिया क्वाँरी रह गई
सूरज करता वारेन्यारे!

बोहनी-बट्टा
बाज़ारों में
घटत-बढ़त की सीढ़ी नापे,

विज्ञापन की
मुखर इबारत
घुन खाई छाती को चापे,

मारकेश आया
सिर ऊपर
ड्योढ़ी बैठी सुने सुहागिन
जबर जोतिषी बचन उचारे!

१८ फरवरी २००८

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