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अनुभूति में सोहिनी की रचनाएँ -

छंदमुक्त में
आक्रोश
दोपहरी
पत्थर बोलते हैं

संकलन में
धूप के पाँव-गुलमोहर का पेड़
गुच्छे भर अमलतास - साँझ

 

आक्रोश

बर्बरता का जवाब, बर्बरता से देने के
हम आदी हो चुके हैं,
संभालना था जिन हाथों को तूलिका
वही हाथ बंदूक थामने के अभ्यस्त हो गये हैं,
अखबार की सुर्खियों में 'सैनिक प्रशासन'
की खबर पढ़
तटस्थता बनाए हुए अपनी दुनिया में हम रम जाते हैं
पर आक्रोश उबलता रहता है,
सुदूर पहाड़ियों के अगम्य गाँवों में
और शहरों के गुप्त आवासों में
या उपनगरों कै सुनसान इलाकों में
और एक दिन विस्फोट होता है
हिंसात्मक गतिविधियों के क्रम में
कौन विजेता है कौन विजित
कहना मुश्किल हो गया है।

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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