अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

अनुभूति में तेजराम शर्मा की रचनाएँ-

 

कविताओं में-
अकेलापन
ऐनक
फ़ोटो
बहुत दूर
वरना वह भी
सागर का रंग
 

  अकेलापन

कहीं भी जाऊँ
मेरा पीछा करता है
एक अकेलापन
दूर नहीं कर पाता इसे
जी नहीं पाता
अपनों के बीच
अपनापन

अकेलेपन की नियति से
बार-बार करता हूँ इनकार
बार-बार भीड़ में समा जाना चाहता
चाल बदल कर
भाषा बदल कर
सुख-दुःख के अतिरेक में
छाती पीट-पीट कर
पर भीड़ से छिटक जाता हूँ बार-बार
विलग अकेला

मैं हमेशा से लड़ता रहा हूँ
इस अकेलेपन से
रहा हूँ धूल में लोट-पोट
माटी की गंध
देह की गंध
में तृप्त

शुक्राणुओं की होड़ में
संततियों के मेले में
मैं भी रहा हूँ शामिल

चखा है धान के खेत में
कीचड़ का स्वाद
खुरदरे हाथों से
मैंने भी सहलाया है
पीठ की मोटी छाल को
बिवाइयों में भरा है लीसा
देह में मक्की के आटे की गंध लिए
घूमा हूँ देश-विदेश

देवताओं के आवाहन-विसर्जन में
भोज की पाँत में
उपस्थित

मेरे हस्ताक्षरों की साक्षी है
उँगली पर उभरी गाँठ

निभाया है मैंने भी
छब्बीस वर्णों का धर्म
फिर मैं ही क्यों
झुंड से अलग हुए पशु की तरह
जंगल में गुम, भटका
एकाकी, अकेला?

१२ जनवरी २००९
 

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter