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अनुभूति में उमाशंकर चौधरी की रचनाएँ-

आग
छोटी खिड़की
हवेली का सच

 

 

आग

वह बी, जिसकी उम्र
दस-बारह वर्ष के क़रीब है और जिसने
अपनी दो कोमल उंगलियों के बीच
फँसा रखे हैं पत्थर के दो चिकने टुकडे
इस भीड भरी बस में
निकालने की करती है कोशिश
अपने गले से
अनुराधा पौडवाल की आवाज़।

पत्थर के इन दो चिकने टुकडों से
निकालती है वह
ढेर सारी फिल्मी धुनें,
भगवान के भजन और
सफ़र के गीत।

इस भीड भरी बस में भी
लोग सुनते हैं उसके छोटे गले से
अनुराधा पौडवाल की छोटी आवाज़
और देखते हैं
बहुत ही तेज़ गति से चलने वाली
उसकी दो उंगलियों के बीच
पत्थरों का आपस में टकराना।

उस बी को नहीं है मालूम
पत्थर के इन्ही दो टुकडों से, जिनसे
वह निकालती है फिल्मों की धुनें और
जीवित रहने की थोडी सी गुंजाइश
उन्हीं पत्थरों के टकराने से निकलती है चिंगारी।
उस बी को नहीं है मालूम, जब
इस सृष्टि की हुई शुरुआत, तब
लोगों ने बसने से पहले, सबसे पहले
ईज़ाद की थी आग
इन्हीं दो पत्थरों को टकराकर।

१३ अप्रैल २००९

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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