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अनुभूति में ललित मोहन जोशी की
की रचनाएँ —

छंदमुक्त में—
स्वयमेव
नौकुचिया ताल के छोर से
हीथ्रो टर्मिनल थ्री
साउथॉल
जब ये जीवन प्रारंभ होता है

 

साउथॉल

लंदन में साउथॉल
भारतीय उपनिवेश हैं
ब्रिटेन में होकर
ये अपनी ज़मीन है
यहाँ अंग्रेज़ नहीं रहते
हमारे कानून चलते हैं
समय मिलने पर
विष्णु मंदिर में
पाप कटते हैं
पूरा साउथॉल
विशाल कार पार्क है
कार कहीं भी
खड़ी की जा सकती है
पुलिस की खाल
यहाँ गोरी नहीं काली है
टैफ़िक लाइट पर टेंशन नहीं है
लाल बत्ती पर रुक सकते हैं
जल्दी में जा सकते हैं
साउथॉल में
आज़ादी महकती है
गिलासी जंक्शन में
पटियाला पेग चलता है
वाइन बिकती है
ब्रॉडवे पर
मजमा रहता है
फुटपाथ पर
शाहरूख खान बिकता है
केवल दस पाउंड में
ओमेगा और रोलेक्स मिलती है
ऐश्वर्या राय
जलेबी जंक्शन पर
फ़ोटो खिंचवाती है
गुरिंदर चढ्ढ़ा
इमरती खाती है
ए बी सी में
कुमार शानू दहाड़ता है
संगीत प्रेमियों के
कान के परदे फाड़ता है
साउथॉल मंडी है
सबके हाथ में
धनिये की गड्डी है
इतवार की दोपहर
शॉपिंग के पहले या बाद
लोग पाउंड बचाते हैं
पुजारी से आशीर्वाद लेकर
मंदिर में खाते हैं
लौटते में
कैश एंड कैरी की थैलियों में
भारतवर्ष घर लाते हैं।

१६ फरवरी २००५

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