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अनुभूति में मीरा ठाकुर की रचनाएँ-

छंदमुक्त में-
आज भी लोग अच्छे हैं
थोड़ी सी रात
वरदान
हर चौराहे फूल खिले

हाइकु में-
दस हाइकु

संकलन में-
होली है-
संत वसंत

 

आज भी लोग अच्छे हैं

त्राहि-त्राहि मची है दुनिया में
कहीं मिस्र जल रहा है
तो कहीं बर्फ़ के गोले रहे हैं बरस
दोनों ही जिंदगी के हैं दो रंग
परंतु इतने से ही नहीं होता
जीवन- बदरंग
लोग फिर भी बढ़ाते हैं
सहायता का हाथ
भले वे न जानें एक दूसरे का हाल
क्योंकि-
आज भी लोग अच्छे हैं
उनमें दिल सच्चा है
आज भी मनुज उतना ही
व्याभिचारी है, अत्याचारी है
परंतु आज भी मदर टेरेसा हैं, नेल्सन मंडेला हैं पानीवाले बाबा हैं जिनका किसी से
कोई रिश्ता-नाता नही हैं। फिर भी हमेशा
बढे रहते हैं उनके हाथ
देने को सबका साथ
क्योंकि
आज भी लोग अच्छे हैं
उनमें दिल सच्चा है।

आज भी स्त्रियों की
भावनाएँ नहीं बदली हैं, विचारधाराएँ नहीं बदली हैं, परंतु ममता का रूप भी नहीं बदला है। आज भी उनमें ममत्व की भावनाएँ जागृत हैं, आज भी सुस्मिताएँ हैं जो ममत्व की धारा को
प्रवाहित कर रही है। क्योंकि-
आज भी लोग अच्छे हैं
उनमें दिल सच्चा है

११ जुलाई २०११

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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