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अनुभूति में प्रेम माथुर की रचनाएँ

कविताओं में-
2 अक्तूबर की याद में
खाली झोली
गुलमोहर
जड़ें
धूप खिली है
बापू की याद

क्षणिकाओं में-
आठ क्षणिकाएँ

संकलन में-
नया साल- जश्न नए साल का

  आठ क्षणिकाएँ

1

बरसा फिरता
कहाँ-कहाँ
प्यासा का प्यासा फिर भी
पागल है
कितना बादल


2

हम हों
बगिया में
कविता और स्वर हों
फिर तुम हो न हो।

3

होती नहीं
ज़रूरत किसी को फूलों की
खुशबू जब फैलती है
लोग अपना ही लेते हैं।

4

जाएँगे अकेले
हम कहाँ
जाएँगे गाहे बगाहे
चार काँधे साथ।

5

रो भी नहीं सकते हम
खुल कर यार
उसके लिए भी
चाहिए एक काँधा प्यार।

6

पड़े-पड़े उलझ जाते हैं
क्यों धागे
रिश्ते

7

एक नाज़ुक किरण
कब किस तरह
किस मूरत पर पड़े
कब किसको किस पर
प्यार आजाए
क्या पता

8

लव कॉम पर जाइए
प्यार अपना पाइए
झूठा सच

09 फरवरी 2007

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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