अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

अनुभूति में रचना श्रीवास्तव की रचनाएँ-

हाइकु में-
नए हाइकु

क्षणिकाओं में-
सात क्षणिकाएँ

नई रचनाएँ-
अभिलाषा
इस ठंड में
तीन क्षणिकाएँ
तुम लौट आना
प्यार में डूबे शब्द
बेटियाँ

छंद मुक्त में-
आओ अब लौट चलें
उजाले की किरण
तमसो मा
बेटी होने की खुशी
रोज़ एक कहानी

  नए हाइकु

अँधेरी रात
संसद गलियारा
सच की मात

धूल फांकते
दफन किताबों में
गाँधी आदर्श

सूखी बारिश
बादल को निचोड़े
चिटके खेत

डॉलर छीने
बेसहारा की लाठी
सूना आँगन

उछला पानी
तट को निहारते
डूबते लोग

बेटी का जन्म
जीवन किया अन्त
बिलखती माँ

जाति व धर्म
हवा में लगी गाँठ
घुटते लोग

आँखों में धूल
नफरत की आँधी
बिखेरे शूल

शहीद हुआ
तो बचा सूना घर
सूनी ही माँग

२७ सितंबर २०१०

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter