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अनुभूति में रोहित कुमार हैप्पी की रचनाएँ —

अंजुमन में-
खुद ही बनाया और बिगाड़ा
झूठ के साए में
दिल तोड़ने आए हो
बात तुम्हारी
मुझको अपने बीते कल में
 

 

खुद ही बनाया और बिगाड़ा

खुद ही बनाया और बिगाड़ा तकदीरों को
मैं मानता नहीं हाथ की लकीरों को।

महलों में रहें या कभी हों बेघर
फर्क पडता है कब फकीरों को।

कर्म अपने का फल मियाँ भोगो
कोसते क्यों हो भला तकदीरों को।

दुख गरीबों को ही बस नहीं होते
खुशियाँ मिलती नहीं सब अमीरों को।

६ फरवरी २०१२

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