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अनुभूति में डॉ. धर्मवीर भारती की रचनाएँ-

मुक्तक में-
चार मुक्तक

छंदमुक्त में-
आँगन
उत्तर नहीं हूँ
उदास तुम
उपलब्धि
एक वाक्य
क्या इनका कोई अर्थ नहीं
टूटा पहिया
तुम्हारे चरण
थके हुए कलाकार से
नवंबर की दोपहर
बरसों बाद उसी सूने आँगन में
प्रार्थना की कड़ी
फागुन की शाम
बोआई का गीत
विदा देती एक दुबली बाँह
शाम दो मनःस्थितिया
सुभाष की मृत्यु पर
सृजन

गौरव ग्रंथ में-
अंधायुग

बोआई का गीत

गोरी-गोरी सौंधी धरती-कारे-कारे बीज
बदरा पानी दे!

क्यारी-क्यारी गूँज उठा संगीत
बोने वालो! नई फसल में बोओगे क्या चीज़?
बदरा पानी दे!

मैं बोऊँगा बीर बहूटी, इन्द्रधनुष सतरंग
नये सितारे, नयी पीढियाँ, नये धान का रंग
बदरा पानी दे!

हम बोएँगे हरी चुनरियाँ, कजरी, मेहँदी -
राखी के कुछ सूत और सावन की पहली तीज!
बदरा पानी दे!

१४ जुलाई २००८

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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