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अनुभूति में रवीद्र भ्रमर की रचनाएँ-

गीतों में-
आज का यह दिन

आँखों ने बस देखा भर था
चलो नदी के साथ चलें
ूही के फूल
यायावर


 

 

जूही के फूल

बाँध लिए अँजुरी में-
जूही के फूल।

मधुर गंध
मन की हर एक गली महक गई
सुखद परस
रग-रग में चिनगी-सी दहक गई
रोम-रोम उग आए-
साधों के शूल।

जोन्हा का जादू
जिन पंखुरियों था फैला
छू गंदे हाथों-
मैंने उन्हें किया मैला
हाथ काट लो-
मेरे...
सज़ा है क़बूल।

आह!
हो गई मुझसे एक बड़ी भूल।
अँजुरी में बाँध लिए जूही के फूल।

१ जून २००१

 

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