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अनुभूति में अनुराग तिवारी की कविताएँ-

गीतों में-
आखिर मुझे कहाँ जाना है
दिल्ली में है सत्ता बदली
धूप
बचपन
मैं निडर हूँ

संकलन में-
सूरज- सूरज खेले आँख मिचौनी

 

धूप

धूप धरा पर उतरी
जैसे जीवन
उतरा।

पशु, पक्षी, मानव सब निकले
अपने अपने गेह से
सूरज की किरणें मिलतीं हैं
सबसे अतिशय स्नेह से।

थमी ओस की बारिश
घटा, शीत का
पहरा।

बीज अंकुरित हुए ज़मीं में
जीवन नया बसाया।
पुरुष प्रकृति का मिलन सुहाना
सबके मन को भाया।

कोयल नाच उठी उपवन में
बाँध शीश पर
सेहरा।

१६ फरवरी २०१५

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