| अनुभूति में 
					अटल बिहारी वाजपेयी की रचनाएँ-
 गीतों में-
 क्या खोया क्या पाया
 कदम मिला कर चलना होगा
 दूध में दरार पड़ गई
 दो अनुभूतियाँ
 मनाली मत जइयो
 मौत से ठन गयी
 
 संकलन में-
 गाँव में अलाव – 
					ना मैं चुप हूँ न गाता हूँ
 मेरा भारत–
                  
					पन्द्रह अगस्त की पुकार
 नया साल– एक बरस बीत गया
 ज्योतिपर्व– 
					आओ फिर से दिया जलाएँ
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					क्या खोया क्या पाया क्या खोया, क्या पाया जग में
 मिलते और बिछुड़ते मग में
 मुझे किसी से नहीं शिकायत
 यद्यपि छला
 गया पग-पग में
 एक दृष्टि बीती पर डालें,
 यादों की पोटली टटोलें!
 
 पृथ्वी लाखों वर्ष पुरानी
 जीवन एक अनन्त कहानी
 पर तन की अपनी सीमाएँ
 यद्यपि सौ
 शरदों की वाणी
 इतना काफ़ी है अंतिम
 दस्तक पर, खुद दरवाज़ा खोलें!
 
 जन्म-मरण अविरत फेरा
 जीवन बंजारों का डेरा
 आज यहाँ, कल कहाँ कूच है
 कौन जानता
 किधर सवेरा
 अंधियारा आकाश असीमित,
 प्राणों के पंखों को तौलें!
 अपने ही मन से कुछ बोलें!
 
					८ दिसंबर २००१ |