अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

अनुभूति में इंदिरा मोहन की रचनाएँ-

गीतों में-
सत्यमेव जयते
राष्ट्र हित तन मन समर्पित

सत्यमेव जयते

राष्ट्र ध्वजा के तीन रंग
भारत गरिमा कहते
सत्यमेव जयते, सत्यमेव जयते

गंग यमुन का उज्जवल पानी
आर्यभूमि की कहे कहानी
त्याग तपस्या की सलिला में
कर्म पुण्य बहते
सत्यमेव जयते

आत्मज्ञान से दीप्त जवानी
प्राण शक्ति की अमर निशानी
मानवता की बलिवेदी पर
हँस हँस सब सहते
सत्यमेव जयते

शाश्वत संस्कृति के अभिमानी
लक्ष्य हेतु जीवन बलिदानी
हिमगिरि से ऊँचे विचार हैं
मौन सकल रहते
सत्यमेव जयते

मर्यादित जीवन संग्रामी
सत्य अहिंसा के अनुगामी
राष्ट्र एक हम भाई भाई
मिलजुल कर रहते
सत्यमेव जयते

जननी जन्मभूमि जय तेरी
कंठ कंठ कहते
सत्यमेव जयते

९ अगस्त २०१०

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter