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अनुभूति में जय प्रकाश नायक की रचनाएँ-

गीतों में-
अपनी नस्ल पसीने वाली
कैसे धीर धरे मन नाविक
नए गुलामी के खतरे हैं
मेरे सिर इल्जाम
हम कहाँ जाएँ

 

कैसे धीर धरे मन नाविक

कैसे धीर धरे मन-नाविक
नाव पुरानी है
दरिया में तूफान उठा है
गहरा पानी है

आये हैं फिर वही प्रवासी-
उजले पाँखों के
सोनमछरिया की तलाश में-
करतब आँखों के
इनकी भक्ति जगत जाहिर है या-
कथा-कहानी है

अब भी जाग रहे हैं किस्से-
बन्दरगाहों में
अनचाहे मेहमान आ गये-
अपनी बाँहों में
पीठ-पीठ जख्मों की गहरी-
पड़ी निशानी है

बँधे हाथ, स्वागत मुद्राएँ
जय जयकारों में
छले जा रहे हैं अब भी हम-
खड़े कतारों में
दवा बाँटने वाले हाथों-
जहर खुरानी है

१० फरवरी २०१४

 

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