अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

अनुभूति में डॉ कीर्ति काले की रचनाएँ-

गीतों में-
खुशबुओं के ज्वार
पहले पहले प्यार में
मखमली स्वेटर
मनचाहा इतवार
हिरनीला मन

 

मखमली स्वेटर

उड़ चला है दिन लगाए धूप वाले पर
याद फिर बुनने लगी है मखमली स्वेटर


गुदगुदी करने लगीं जब से गुलाबी सर्दियाँ
नाचती हैं अनमनी होकर तभी से उँगलियाँ
गुनगुने दो नर्म गोले ऊन के लेकर

एक उल्टा एक सीधा और उसके बाद
हर सलाई ने बुनी है एक मीठी याद
नींद के हाथों सुनहरा झुनझुना देकर

धीरे-धीरे घट रहे हैं रात के फन्दे
पोरूओं ने छू लिए दिनमान के कन्धे
आँख में आकाश के सारे सितारे भर

२८ फरवरी २०११

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter