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अनुभूति में कृष्ण नंदन मौर्य की रचनाएँ-

नयी रचनाओं में-
अंधे न्यायालय को
कटा कटा गाँव
कस्तूरी की गंध
जादू वाली छड़ी
जिस आखर से खुले

गीतों में-
अब मशीने बोलती हैं
क्या उड़ने की आशा
नदिया के उस पार
मन को भाता है
रहे सफर मे

संकलन में-
विजय पर्व- राम को तो आज भी वनवास है

नया साल- नये वरस जी
शुभ दीपावली- उजियारे की बात
जग का मेला- तितली

 

रहे सफर में

मनचाहे ठहराव के लिये
हम जीवन भर रहे
सफ़र में

ऐसे मीठे बोल
कि जिनमें घुल जाये मन का तीतापन
ममता की वह थाप कि जिससे सो जाये
किरचा–किरचा तन
नेह–भरी इक छाँव के लिये
हम जीवन भर तपे
डगर में

बीत गये दिन
लेने देने पाने खोने के हिसाब में
देखा तो हर पन्ने पर ही घाटा निकला
गुणा–भाग में
बहुत बड़े जुड़ाव के लिये
हम जीवन भर रहे
सिफ़र में

पूरे होते हैं जो
सपने, मिले हाशिये पर ही अक्सर
गान भरा करते हैं जीवन में केवल
संघर्षों के स्वर
कुछ मणियों की चाह के लिये
हम जीवन भर रहे
लहर में

२९ अप्रैल २०१३

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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