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अनुभूति में कुंदन सिंह सजल की रचनाएँ-

गीतों में-
अब भी दिल्ली दूर
कितने रूप धरे
बँटवारा बो गया कौन

 संकलन-
बरगद- गाँव गए तो

 

अब भी दिल्ली दूर

सुविधाएँ
काफूर, हमारे गाँव से
अब भी दिल्ली दूर, हमारे
गाँव से

प्यार,
दोस्ती, भाईचारा, अपनापन
रिश्ते, नातों की प्रगाढता के बंधन
विदा हुए दस्तूर,
हमारे गाँव से
अब भी दिल्ली दूर, हमारे
गाँव से

भूख,
गरीबी, बेकारी के चमगादड
घोर अभावों, बीमारी के चमगादड
जाते नहीं हुजूर,
हमारे गाँव से
अब भी दिल्ली दूर, हमारे
गाँव से

हर मन
पर अब तने ईर्ष्या के अम्बर
हर आंगन में गये फूट के पाँव पसर
एका गया जरूर,
हमारे गाँव से
अब भी दिल्ली दूर, हमारे
गाँव से

१७ दिसंबर २०१२

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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