अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

अनुभूति में मंजुलता श्रीवास्तव की रचनाएँ-

गीतों में-
आजकल पंछी
एक गीत प्रीत का
क्वार का है सुखद आना
फसल नहीं हो पायी
मन बटोही

 

क्वार का है सुखद आना

छिटक निकली धूप फिर भी
मेह पल भर बरस जाना
ब्याह स्यारों के हुए हैं
क्वार का है सुखद आना

आँजुरी में भर के खुशबू
यह हवा बिखरा रही है
और गुल-मेहंदी रँगों की
छवि अलग दिखला रही है
पक्षियों का रागिनी के
न‌ए सुर में डूब जाना

द्वार दीवारों के रंग
बारिश ने बदरंग कर दिए हैं
जलभरावों में नगर ने
आपदा के पल जिए हैं
कुछ हुए आश्वस्त चेहरों
का तनिक सा मुस्कुराना

क्वाँरी बिटिया की सगाई
क्वार में ही हो गई है
नए जीवन के सपन
पलकों में लेकर सो गई है
फिर मनेंगे मदन-उत्सव
कुछ दिनों के बाद गवना

१ जून २०१९

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter