अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

अनुभूति में प्रवीण पंडित की रचनाएँ

अंजुमन में-
खुशबू
मीलों मीलों
शुरुआत
सौगात

गीतों में—
एक बार बोलो
कहाँ पर सोया संवेदन

काला कूट धुआँ
मौन हुए अनुबंध

काला कूट धुआँ

नस-नाड़ी अग्नि दहकाता काला कूट धुआँ
बन कर आँसू भरी आँख से आया फूट धुआँ

सरसों झुलसी, सूखी तुलसी
घर अँगने बदरंग
मक्खन जैसी देह का छिन मे
छलनी हो गया अंग
अरमानों की फ़सल को पल में ले गया लूट धुआँ

बिटिया बहना निपट अकेली
चौखट बिखरे केश
देह हुलसती लकवा खा गयी
फुलकारी हुई श्वेत
उम्र चौरासी के सपनों को कर गया ठूँठ धुआँ

भटके बछड़ों के सपनों की
ऊँची उड़े पतंग|
रोज़ी-रोटी की आसानी
सीख और सत्संग
काले बादल चीर के उजली दे जाये धूप धुआँ

११ अक्तूबर २०१०

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter