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अनुभूति में रामअवतार सिंह तोमर रास की रचनाएँ -

गीतों में-
नई बहुरिया
पतझर के अब दिन
प्रियतमा के गाँव में
लगता मंदिर है
लाख कोशिशें
सूरज एक किरण तुम दे दो

 

सूरज एक किरण तुम दे दो

आसमान में घिरी घटाएँ,
और रात का भ्रम फैलाएँ
उजियारा बोने की खातिर
सूरज एक किरण तुम दे दो।

आज हमारे घर आँगन से
तुलसी बिल्कुल लुप्त हो रही
नागफनी के दरबारों में
चर्चा कोई गुप्त हो रही।
मधुवन जैसी चली हवाएँ
तूफानों सा खौफ दिखाएँ

आँधी से लड़ने की खातिर
हिम्मत का बस कण तुम दे दो।

बन्दूकों की फसल उग रही
बारूदों का जमा खजाना
तुरही चीख रही है नभ में
चाहे अमन-चैन पर छाना।
पार कर गयी सब सीमाएँ
किस पर क्या अधिकार जताएँ

इन सबसे बचने की खातिर
शांति अहिंसा क्षण तुम दे दो।

आज खेत को मेड़ खा रहा
राग भैरवी साथ गा रहा
खत्म हो चुका जल आँखों का
पॉप सॉन्ग सर्वत्र छा रहा।
हुई बेसुरी सभी दिशाएँ
कौन-कौन से साज बजाएँ

इनसे हटकर अब चलने का
मुझको पावन प्रण तुम दे दो।

८ जून २०१५

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