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अनुभूति में डॉ. राकेश चक्र की रचनाएँ-

गीतों में-
अद्भुत संसार
आह्लाद कहाँ है
अविराम सफर
एक गुलाब खिला
जनतंत्र

 

आह्लाद कहाँ है

किया-धरा
कुछ नहीं किंतु सब
शेख़ी रहे बघार
बड़ा ही अद्भुत है संसार

सिमटे सब अपने में निशि-दिन
करते रहते ताक-धिना-धिन
अलग राग बजता ढपली पर
बातों में ही बीता जीवन

लुटा न पाए प्यार
बड़ा ही अद्भुत है संसार

अपने हुए दूर जीवन से
तने रहे वे तन से मन से
दया-धरम का मोल न जाना
रहे चाहते वे कण-कण से

हरदम बस अधिकार
बड़ा ही अद्भुत है संसार

१ अक्तूबर २०१६

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