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अनुभूति में रावेंद्रकुमार रवि की रचनाएँ— 

बालगीतों में-
अपनी माँ का मुखड़ा

बढ़िया बहुत पसीना
मेरी शोभा प्यारी है
हम भी उड़ते

गीतों में-
ओ मेरे मनमीत
धूप की परछाइयाँ
नाम तुम्हारा
मेरा हृदय अलंकृत
मेरे मन महेश

कार्यशाला में-
कोहरे में भोर हुई

संकलन में-
फागुन- आए कैसे बसंत
होली है- होली आई रे

 

मेरा हृदय अलंकृत

मेरा हृदय अलंकृत होकर
करे न क्यों परिहास!
उसे मिला है-
मुग्ध चंद्रिका-सा अनुरंजित हास!

बनी उदासी की रेखाएँ
मुस्कानों का आलेखन!
अनुरागी मन करता नर्तन
पाकर सुख का संवेगन!
चाहत की हर
सखी कर रचाती तृप्तिपूर्ण मधुरास!
उसे मिला है-
मुग्ध चंद्रिका-सा अनुरंजित हास!

बूँद-बूँद में प्रीत सजाकर
जैसे सज जाता सावन!
आशाओं की परिभाषा में
जुड़े शब्द कुछ मनभावन!
प्रणय-लता हो
रही सुहागिन पाकर समन-सुवास!
उसे मिला है-
मुग्ध चंद्रिका-सा अनुरंजित हास!

१२ अप्रैल २०१०

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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