अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

अनुभूति में सौरभ पाण्डेय की रचनाएँ-

नयी रचनाओं में-
आओ सारी बात करें हम
जो कर सके तो कर अभी
फगुनाए मन-मन
बारिश की धूप

साथ बादलों का

क्षणिकाओं में-
शेल्फ पर किताबें

गीतों में-
अपना खेल अजूबा
आओ साथी बात करें हम
परंपरा और परिवार
पूछता है द्वार
रिस आया बाजार

संकलन में-
हौली है- फागुन फागुन धूप
शुभ दीपावली- तुम रंगोली भरो
विजय पर्व- शक्ति पाँच शब्दरूप

 

शेल्फ पर किताबें

१.
शेल्फ़ किताबों के लिए हो सकती है
किताबें शेल्फ़ के लिए नहीं होतीं
शेल्फ़ में किताबों को रख छोड़ना
किताबों की सत्ता का अपमान है

२.
कुछ पृष्ठों के कोने वो मोड़ देता है
न भी पलटी जायें बार-बार
उन पृष्ठों को खास होने का अहसास बना रहता है
"शुक्रिया दोस्त !"

३.
चाहती है किताब
पृष्ठ प्रति पृष्ठ
शब्द-शब्द जीमती दृष्टि
पलटती उँगलियों की छुअन
बूझते चले जाने की आत्मीय स्वीकृति
हर किताब चाहती है
पढ़ा जाना
अंतर्निहित तरंगों का महसूसा जाना
रोम-रोम शब्द-शब्द बूझा जाना

४.
किताबों के अक्षर-शब्द
किताबों में पड़ी पँखुड़ियाँ
परस्पर निर्लिप्त !
नियमित संज्ञा
और
विशिष्ट परम्पराओं के बावजूद
किताबें चुपचुप कितना कुछ जीती हैं !

१० नवंबर २०१४

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter