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शीला पांडे

जन्म- ३० जनवरी १९६८ में बस्ती उ. प्र. भारत में

शिक्षा- एम.एस.सी. (कार्बनिक रसायन), एम.ए. (प्राचीन भारतीय इतिहास)

कार्य क्षेत्र-
कहानियाँ, कविताएँ, गीत, नवगीत, वैचारिक लेख, निबन्ध, समीक्षा, साक्षात्कार, रिपोर्ताज, बाल साहित्य एवं शैक्षिक लेखों के क्षेत्र में सक्रिय। १० दिवसीय ‘‘लखनऊ पुस्तक मेला’’ के साहित्यिक कार्यक्रम का निरन्तर आयोजन, संयोजन एवं संचालन तथा हिन्दी का प्रचार-प्रसार।

प्रकाशित कृतियाँ-
‘नील विहग’, ‘मुक्त पलों में’, ‘उत्तर भारत की लोककथाएँ’, ‘रे मन! गीत लिखूँ मैं कैसे?’, ‘समय में घेरे’

पुरस्कार व सम्मान-
उ.प्र. हिन्दी संस्थान द्वारा ‘उत्तर भारत की लोककथाएँ’ को लोक साहित्य-बलभद्र प्रसाद दीक्षित पढ़ीस-सर्जना पुरस्कार २०१४, भाषा संस्थान उत्तर प्रदेश द्वारा साहित्य के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान हेतु उ.प्र. संस्कृति मंत्री माननीया अरुणा कोरी जी द्वारा ‘‘हेल्प यू ट्रस्ट’’ सम्मान। मेला आयोजक समिति के सदस्य के रूप में वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. नरेन्द्र कोहली जी द्वारा सम्मान।

संप्रति- स्वतंत्र पत्रकारिता व स्वतंत्र लेखन।

ईमेल- shpsheela@gmail.com

 

अनुभूति में शीला पांडे की रचनाएँ-

गीतों में-
नीम-निबौरी
पालों वाली नाव बनाएँ
माँ कभी मरने न पाती
रोप रहे पुलुईं से पौधा
स्वाधीन-इन्द्रियाँ

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