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अनुभूति में डॉ. शिवजी श्रीवास्तव की रचनाएँ-

अंजुमन में-
टी वी वाले
ध्वज आरोहण
व्यस्तता
हर तरफ व्यवधान है
हर दिशा में

 

टी वी वाले

जाने कहाँ कहाँ के किस्से सुना रहे हैं टी वी वाले
बिना बात के बड़े बतंगड़ बना रहे हैं टी वी वाले

बचपन में आया करता था एक मदारी गलियों में
वैसे ही दिन रात तमाशे दिखा रहे हैं टी वी वाले

प्रगतिशील बने वे , जिनको कोसा करते है हरपल
उनके विज्ञापन से टी वी चला रहे हैं टी वी वाले

पानी मे ये आग लगा दें , नाव चला दें रेती मे
बुझी आँच को फूँक फूँक कर जगा रहे हैं टी वी वाले

हम ही हैं नादान बहुत जो इनकी बातें सुनते हैं
इसीलिए फिर काठ की हाण्डी चढ़ा रहे हैं टी वी वाले

१ सितंबर २०२२

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