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अनुभूति में श्रीधर आचार्य शील की रचनाएँ-

अंजुमन में-
क्या जमाना आ गया है
झरने लगे हैं
नफरत के जो भाव भरे हैं
मेरे जीवन की बगिया
रात खड़ी है

गीतों में-
इक छोटा सा अंतराल
कुछ दिन बीते
तुमने कर दिया सही
यह कैसा अनुबंध
 

कुछ दिन बीते

कुछ दिन बीते चंदन जैसे
कुछ दिन गुंगुवाये!
कुछ दिन यादों की चूनर के
लौट- लौट आये!

पुरवैया लहरा कर
बंद किवरिया खोल गयी
बड़े सबेरे आँगन मेरे
मैना बोल गयी
घर-आँगन चौपाल
दिन का शैशव गहराये!!

उपवन-उपवन फूल खिले
धरती का आँचल धानी
सरगम टेरे पवन झकोरा
लहर उड़े मनमानी
नदिया बहती कलकल करती
प्रीत डगर बिखराये!

घन प्यारे कारे कजरारे
मन करते मतवारे
कभी बरसते हैं नयनों से
कभी किसी के द्वारे
कोई भीगे डूबे कोई
और कोई इतराये!

कुछ दिन यादों की चूनर के
लौट- लौट आये!

१ फरवरी २०१८

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