अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

अनुभूति में शुभम श्रीवास्तव ओम की रचनाएँ-

गीतों में—
उदास घड़ी
कोई मुझमें
निर्वासन
फिर उठेगा शोर एक दिन
बेचैन उत्तरकाल
 

 

फिर उठेगा शोर एक दिन

फिर उठेगा शोर एक दिन

दो घड़ी की रात है यह
दो घड़ी का है अँधेरा
एक चिड़िया फिर क्षितिज में
खींच लायेगी सवेरा

मानता हूँ आज की
ये रात मुश्किल है मगर-
लौट आएगा वो कल का
बीत बैठा दौर एक दिन।

कब तलक घुटता रहेगा
हक-सरे बाजार में
एक दिन हलचल मिलेगी
देखना अखबार में

लोग उमड़ेंगे सड़क पर
हाथ में ले तख़्तियाँ
बाज़ू-ए-क़ातिल नपेगा
फिर तुम्हारा ज़ोर एक दिन।

दग्ध आवेशों में तन-मन
जल रहा तो क्या करूँ?
एक सपना फिर भी दिल में
पल रहा तो क्या करूँ?

काँपते ये हाथ लिखने में
कहानी आज की, पर
गुनगुनाते होंठ से-
गाएगा कोई और एक दिन।

१ नवंबर २०१७

 

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter