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अंतिम पहर रात का
आओ ऐसा देश बनाएँ
पनघट छूट गया
बजता रहा सितार

गीतों में-
अरे जुलाहे तूने ऐसी
आँगन और देहरी

आरती का दीप
ओ फूलों की गंध
ओ मेरे गाँव के किसान
जिंदगी तुम मिली
जिंदगी गीत है
मन मंदिर में
राह में चलते और टहलते
सूत और तकली से


 

 

जिंदगी गीत है

जिन्दगी गीत है, इसको गाते रहो
प्यार का राग है, गुनगुनाते रहो
हँसते-हँसते हरेक पल, सजाते रहो,
मुस्कुराते रहो
मुस्कुराते रहो

धूप छॉव तो संग-संग, रहेंगे सदा
सुख-दुःख साया बनकर, चलेंगे सदा
बिन रूके ही कदम तुम, बढ़ाते रहो
मुस्कुराते रहो
मुस्कुराते रहो

जिसका कोई नहीं, उसका तो है वही
वो जो दिखता नहीं, पर छुपा है कहीं
फूल बनकर के खुशबू, लुटाते रहो
मुस्कुराते रहो
मुस्कुराते रहो

डूबते को भी तो, तार देता है वो
बेसहारों को भी, प्यार देता है वो
आस्था के दीये, जगमगाते रहो
मुस्कुराते रहो
मुस्कुराते रहो

शब्द और अर्थ की तुम, मशालें लिये
रोशनी की कतारें, लगाते रहो
भोर की तुम किरण बनके, आते रहो
मुस्कुराते रहो
मुस्कुराते रहो

२ जुलाई २०१२

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