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अनुभूति में डॉ. टी. महादेव राव की रचनाएँ-

आशा गीत
क्यों नहीं ये अश्रु बहते
प्रीत के मधुमास हो गए
भामिनी तुम
वृष्टि का गीत

  वृष्‍टि‍ का गीत

मेघों ने गाया है वृष्‍टि‍ का गीत
पाया है चातक ने अपना मन मीत

पावस में थि‍रकते स्‍वाति‍ के सुवन
हो रहा चंचल यह संन्‍यासी मन
‍कि‍या नि‍र्वाह सृष्‍टि‍ ने सार्वभौम रीत
पाया है चातक ने अपना मन मीत
मेघों ने गाया है वृष्‍टि‍ का गीत

श्‍याम मेघ देख नृत्‍य-मगन है मयूर
तृष्‍णा की मरुथली भाग चली दूर
शीत पवन बूँदों संग सुनाये संगीत
पाया है चातक ने अपना मन मीत
मेघों ने गाया है वृष्‍टि‍ का गीत

हर्ष से भरा भरा है मानस दर्पण
नभ करता अंजुली में अमृत अर्पण
धरा और मेघमाल में हो रही है प्रीत
पाया है चातक ने अपना मन मीत
मेघों ने गाया है वृष्‍टि‍ का गीत

१८ जनवरी २०१०

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