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अनुभूति में ऋता शेखर मधु की
रचनाएँ-

हाइकु में-
नैनों की भाषा

संकलन में-
खिलते हुए पलाश- हाइकु

  नयनों की भाषा (हाइकु)

१.
नैनों की भाषा
बिल्कुल ही निःशब्द
हो अभिव्यक्त।

२.
पलकें झुकीं
रंगीन सी दुनिया
ख्वाबों की सजी।

३.
बन्द पलक
ख्वाब उड़ते रहे
भोर तलक।

४.
पलक झुकी
झुक गया फ़लक
तुम्हारे लिए।

५.
राह तकें ये
व्याकुल से नयन
भीगा है मन।

६.
मन की पीड़ा
पलक जो खुली तो
बह के चली।

७.
अस्त सा हुआ
चन्द्रमा के साथ ही
नयन दीप।

८.
शुभ संदेश
दम दम दमके
नयन मोती।

९.
नीले नयन
झील–सी हैं गहरे
राज़ गहरे।

१०.
चाँद को देखे
टकटकी से नैन
क्या याद करे?

११.
खोए नयन
शायद इन्तज़ार
किसी प्रिय का।

१२.
सूनी जिन्दगी
सूने नयन कहें
यही कहानी।

३० जनवरी २०१२

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