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अनुभूति में सावित्री डागा की रचनाएँ-

हाइकु में-
सत्रह बूँदों में

 

सत्रह बूँदों में



हाइकु रचना
सत्रह बूँदों में ही
सिंधु भरना


कविता जब
सूक्ष्मतंम हो जाती
हाइकु होती


छोटी सी बात
अंतर को छू जाती
कला हो जाती


खेत हमारे
प्यार के मीठे गीत
श्रम है गाता


न जाने कब
बदली सी उमड़ी
आती कविता
 




पहुँचा होगा
संदेशा मेरा उन्हें
वर्षा -बूँदों से


चाँदनी बनी
अमृत बरसाती
सर्दी की धूप


चाँदनी आती
हरसिंगार बेला
साथ में लाती


सूखता नहीं
यह प्रेम का वट
तुम्हारा बोया

१०
नूतन वर्ष
काल द्वारा थमाई
नई किताब

२४ फरवरी २०१४

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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