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                   अनुभूति में
					डॉ. सुधा गुप्ता की रचनाएँ- 
					नई रचनाओं में- 
					नौ ताँका कविताएँ 
					नए हाइकु 
					
					हेमंत ऋतु हाइकु में 
					 
					हाइकु में- 
					हाइकु 
					 
					संकलन में- 
					होली है-
					फूलों 
					की पाग (हाइकु) 
  
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                  हाइकु 
					पीपल पत्ते 
					ताली बजाते, देख 
					बूँदों का नाच। 
					 
					कुशल शिल्पी 
					पेड़ पर लटकी 
					बया की बस्ती। 
					 
					मुस्काती घाटी 
					करती द्वाराचार 
					दूब-धान से। 
					 
					कुमाऊँ परी 
					फूलों कढ़ा आँचल 
					झील नगरी। 
					 
					झरोखे बैठी 
					फुलकारी काढ़ती 
					प्रकृति बधू। 
					 
					चिड़िया रानी 
					चार कनी बाजरा 
					दो घूँट पानी 
					 
					चहक रही 
					नोकदार पूँछ को 
					उठा फुदकी। 
					 
					बाँसों के वन 
					मनचली हवा ने 
					बजाई सीटी। 
					 
					कुनमुनाया 
					बादल के कंधे पर 
					उनींदा चाँद। 
					 
					फागुन रंग 
					चढ़ गई रे भंग 
					नाचती हवा। 
					 
					घाव हरे हैं 
					अपनों ने दिए हैं 
					नहीं भरे हैं। 
					 
					घर में घुसे 
					खिड़की से कूद के 
					शैतान मेघ। 
					 
					१६ फरवरी २००५ 
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