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अनुभूति में त्रिलोक सिंह ठकुरेला की रचनाएँ-

गीतों में-
गाँव
प्यास नदी की
मन का उपवन
मन-वृंदावन

सोया शहर

नए दोहे-
यह जीवन बहुरूपिया

कुंडलियों में-
कुंडलियाँ (अपनी अपनी अहमियत)

नए दोहे-
दोहे

हाइकु में-
हाइकु सुखद भोर

 

मन का उपवन

तुम आए तो
मन का उपवन
महक गया।

उड़ने लगीं
तितलियाँ सुख की ,
खिले कमल
पाकर तुम्हें
थिरकता रहता
मन चंचल

प्रेम-गंध पा
मुग्ध भ्रमर - मन
बहक गया।

कुछ खुशबू,
कुछ रंग प्यार के,
गये बरस
सारा जीवन
मधुमय होकर
हुआ सरस

सुर्ख गुलाब
खिला चेहरे पर
दहक गया

२३ अप्रैल २०१२

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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