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अनुभूति में राजश्री की रचनाएँ

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पिताजी के लिए

 

 

 

पिताजी के लिए

न जाने मेरे अस्तित्व का क्या होता,
यदि आप और माँ का सहारा न होता,
स्नेह त्याग
और आत्मविश्वास बढ़ाकर,
पाला है आपने
हम भाई-बहन को सबल होकर
दो नाजुक बेलों को बचपन में सहारा दिया,
उठाया, सँभाला, सँवारा, प्यार से सहलाया,
सीखा है बहुत कुछ हमने आपसे,
जीवन को देखा है, समझा है, निगाहों से आपकी
हर मोड़ पर अपने अटल विश्वास के संग
दिया हौसला
न होने दी धीमी उमंग,
किसी भी कष्ट और वेदना में
दुख का आभास न होने दिया हम पर।
आज आपकी स्मृति को सँजोकर,
जिएँगे आपके बताए रास्ते पर चलकर,
हमारे घर को आबाद कर,
आप कही सो गए गहरी नींद में
हमें तड़पा कर।

9 अगस्त 2007

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