अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

AnauBaUit maoM nailana kaMt kI rcanaaeM—

kivataAaoM maoM—

paMca CaoTI kivataeM
prdosa
Baaor hu[-
manauYya AaOr p`kRit
samaya
sauK duK

 

manauYya AaOr p`kRit
manauYya nao
ApnaI sauivaQaa ko ilae
kRi~ma saaQana jauTa ilae hOM bahut
rat ko AMQaoro kao baIMQa dota hO
ivaVut ka p`kaSa

ikMtu ivaVut ka p`vaah
tao Ék BaI jaata hO.
AaOr AMQakar kI caadr
manauYya kao samaoTnao baZ,tI hO jaba
vah maMd gait sao
ikMtu inarMtr jalata
p`kRit ka idyaa
hI tao
AMQakar sao
laaoha laota hO tba.

9 janavarI 2005

 

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter