अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

अनुभूति में सुवर्णा दीक्षित की
रचनाएँ —

नई रचनाएँ-
किसी के कहने से
जो दुनिया से कहूँ

दोस्तों में भी ये अदा हो कभी
मुहब्बत कुछ नहीं
हर वक्त चाशनी में

गीतों में-
कुछ लम्हों पहले

मुक्तक में-
तीन मुक्तक

  दोस्तों में भी ये अदा हो कभी

दोस्तों में भी ये अदा हो कभी
जो है दिल में वही बयाँ हो कभी

लम्हे जिनको फ़रिश्ते भी तरसे
तेरे-मेरे भी दरमियाँ हो कभी

पानियों पर लिखा है नाम मेरा
देखो दिल पर भी लिखा हो कभी

तू मेरा इक भरम तो रख यारा
एक पल के लिए खुदा हो कभी

दाग देखें खुद अपने दामन के
खुद से इतना भी फ़ासला हो कभी

सबको अपनो से हैं कई शिकवे
इक तो खुद से कोई गिला हो कभी

फिर से मिलने का है अगर वादा
ये ज़रूरी है हम जुदा हों कभी

१ अक्तूबर २०१२

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter