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गुलमुहर के फूल

 
आँख में गड़ने लगे है
गुलमोहर के फूल

धूप पर कुछ लिख रही है
नीम की टहनी
पत्तियों के लिये मुश्किल
दोपहर सहनी
कट गए हैं बहुत अंदर तक
नदी के कूल

आँख में गडने लगे हैं
गुलमोहर के फूल।

कानपर देने लगा है पवन
कैसी थाप
सड़क जलती पूछती है
कहाँ जाते आप
क्या मिलेगा वह जिसे कल
शाम आए भूल

आंख में गड़ने लगे है
गुलमोहर के फूल

रोकता पीपल झुका कर
डाल वाले हाथ
कह रहा बेटा बहुत जलता
तुम्हारा माथ
और बस्ती तक पड़ी है
रास्ते में धूल

आँख में गड़ने लगे है
गुलमोहर के फूल

- अवध बिहारी श्रीवास्तव
९ अप्रैल २०१८

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