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मेरा भारत
 विश्वजाल पर देश-भक्ति की कविताओं का संकलन

 

अपना हिन्दुस्तान है

सबसे सुन्दर, सबसे उत्तम, हिन्दुस्तान है।
तपोभूमि यह ऋषि मुनियों की, इसकी अनुपम शान है॥

यहीं हिमालय, गंगा, यमुना -
हरे - भरे मैदान हैं।
यहीं रम्य फूलों की घाटी -
देख सभी हैरान हैं॥
यहीं राम की जन्म-भूमि है -
तरकश तीर-कमान है।
माँग रहे गोपाल यहीं पर -
दूध-दही का दान हैं॥
यहीं दिया अर्जुन को हरि ने गीता का शुचि ज्ञान है।
भक्त विदुर का शाक ग्रहण कर दिया बहुत सम्मान है॥

इसी धरा पर हुए वीरवर
परशुराम, हनुमान हैं।
अनसुइया, सीता सी कितनी,
स्त्रियाँ हुई महान हैं॥
याज्ञवल्क्य गौतम नारद से -
हुये यहीं विद्वान हैं।
यहीं भीष्म ने शर-शैय्या पर -
त्यागे सुख से प्राण हैं।
इसी धरा पर शिव-शंकर ने किया कभी बलिदान है।
ऋषि दधीच ने लोक-कार्य हित किया अस्थि का दान है॥

सभी जानते, हुये यहीं पर -
गौतम बुद्ध महान हैं।
कालिदास ’रघुवंश’ प्रणंता -
हुये यहीं मतिमान हैं॥
वीर शिवा, राणा प्रताप से -
हुये यहीं बलवान हैं।
तुलसी, सूर, कबीर, देव के -
विरचित ग्रंथ महान हैं॥
यहीं आद्य शंकर का उड़ता उन्नत विजय निशान है।
यहीं वीर राणा सांगा का अपना राजस्थान है॥

यहीं राज महिषी लक्ष्मी ने -
पूर्ण किये अरमान हैं।
’विस्मिल’ ,राम प्रसाद, लाहिड़ी -
के अनुपम बलिदान हैं॥
अमर हुये आज़ाद भगत सिंह
रोशन, अहमद, खान हैं।
इसी देश में पूजे जाते -
गीता ग्रंथ, कुरान हैं॥
कहें कहाँ तक इसकी महिमा, यह सद्गुण की खान है।
सुर नर मुनि गन्धर्व सभी ने इसका किया बखान है॥

किन्तु आज हम हुये स्वार्थी,
भूले अपनी आन हैं।
घटता गया मनोबल दिन-दिन
ऊँचे हुये मकान हैं॥
त्याग-तपस्या हुये तिरोहित,
किये हुये मदपान हैं।
फिर भी समझ रहे अपने को,
हम अच्छे इंसान हैं॥
जिस धरती के लिये न मिलता ढूँढॆ से उपनाम है।
उस पर ही जन्मे कपूत हम, विधि का अजब विधान है॥

-परमानंद जाडिया
१३ अगस्त २०१२


   

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