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मेरा भारत 
 विश्वजाल पर देश-भक्ति की कविताओं का संकलन 

 
 
वो शान चाहिये
 

भारत कभी सोने का था वो शान चाहिये।
जग के गुरू की फिर वही पहचान चाहिए।

मौला नहीं पंडित नहीं ना पादरी भला।
सारे जहाँ को अब महज इन्सान चाहिये।

हनुमान के दिल में बसे श्री राम जिस तरह।
हर शख्स के दिल में ये हिन्दुस्तान चाहिये।

कोई बुराई गर दिखे जड़ से उखाड़ दो।
इस मुल्क का हर शख्स निगहबान चाहिये।

आतंक, भ्रष्टाचार, अत्याचार हो कहीं।
इनके लिये तो अब नया शमशान चाहिये।

कुछ भी नहीं मुश्किल अगर जो मिल के ठान लें।
हर आँख में आँसू नहीं मुस्कान चाहिये।

- सीमा हरि शर्मा
११ अगस्त २०१४


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