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जनतंत्र हमारा 
 जनतंत्र को समर्पित कविताओं का संकलन 

 
 
युवा सुनो
 

१.
मरे नहीं प्रहार से
प्रचंड वीर काल थे
समा गये कमान में
महान तीर लाल थे ।

२.
लड़े सदा झुके नहीं
तिरंग ना गिरा कभी
थमा दिया तुम्हें सुनो
ध्वजा नहीं झुके कभी ।

३.
किया विरोध क्रोध से
मिटा दिया निशां सुनो
जला दिया भला किया
अवाज आग की सुनो ।

४.
सुनो सुनो युवा सुनो
पुकारती तुम्हें धरा
उखाड़ फेंक दो उन्हें
जिन्हें न शोभती धरा ।

५.
सुनो पुकार चीख भी
निरे मरे निहत्थ भी
बचा नहीं विरोध में
लहू बहा अपार भी ।

६.
मना रहे खुशी खुशी
स्वतंत्रता सभी यहाँ
वहाँ पडे निशान भी
बुला रहे हमें वहाँ ।

७.
मिली स्वतंत्रता हमें
गुलाम आज भी रहे
निकाल दो उन्हें अभी
जिन्हें समाज ना सहे ।

८.
उन्हें सलाम कीजिए
प्रणाम कीजिए उन्हें
दिया स्वराज देश को
सलाम कीजिए उन्हें ।

- पवन प्रताप सिंह 'पवन'
१७ अगस्त २०१५


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