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मेरा भारत
 विश्वजाल पर देश-भक्ति की कविताओं का संकलन

भारती वंदना

भारति जय विजय करे!
कनक शस्य कमल धरे!

लंका पदतल - शतदल
गर्जितोर्मि सागर - जल
धोता शुचि चरण युगल
स्तव कर बहु अर्थ भरे!

तरु तृण वन लता वसन
अंचल में खचित सुमन
गंगा ज्योतिर्जल- कण
धवल धार हार गले!

मुकुट शुभ्र हिम - तुषार
प्राण प्रणव ओंकार
ध्वनित दिशाएँ उदार
शतमुख - शतरव मुखरे!

- सूर्यकांत त्रिपाठी निराला


स्रोत : अपरा, भारती भंडार, लीडर प्रेस, इलाहाबाद

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