| राष्ट्र गगन की दिव्य ज्योति राष्ट्रीय पताका नमो नमो।भारत जननी के गौरव की अविचल शाका नमो नमो।
 कर में लेकर इसे सूरमा, कोटि-कोटि भारत संतान।हँसते-हँसते मातृभूमि के चरणों पर होंगे बलिदान।
 हो घोषित निर्भीक विश्व में तरल तिरंगा नवल निशान।
 वीर हृदय हिल उठे मार लें भारतीय क्षण में मैदान।
 हो नस-नस में व्याप्त चरित्र, सूरमा शिवा का नमो-नमो।राष्ट्र गगन की दिव्य-ज्योति राष्ट्रीय पताका नमो-नमो।।
 उच्च हिमालय की चोटी पर जाकर इसे उड़ाएँगे।विश्व-विजयिनी राष्ट्र-पताका, का गौरव फहराएँगे।
 समरांगण में लाल लाड़ले लाखों बलि-बलि जाएँगे।
 सबसे ऊँचा रहे, न इसको नीचे कभी झुकाएँगे।।
 गूँजे स्वर संसार सिंधु में स्वतंत्रता का नमो-नमो।भारत जननी के गौरव की अविचल शाका नमो-नमो।
 - श्यामलाल गुप्त पार्षद16 अगस्त 2006
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