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दीप धरो
वर्ष २०१० का दीपावली संकलन

एक दीपक

टिमटिमाता एक दीपक
यत्न करके मुसकुराता
घन तिमिर से
लड़ रहा है

रात के अंतिम पहर में
नखत अलसाए पथिक से
और नभ का पार पाने
विहग कोई
उड़ रहा है

माधवी के गाल पर फिर
मधुप चुंबन आँक निकला
फूल पर उसकी निशानी
ओस कण बन
पड़ रहा है

झिल मिलाता एक दीपक
मधु मिलन के गीत गाता
घन तिमिर से
लड़ रहा है

-- प्रियव्रत चौधरी
१ नवंबर २०१०

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