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शुभ दीपावली

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बधाई बधाई
 

बधाई बधाई बधाई बधाई
मुबारक सभी को दिवाली है आई.

दशहरा गया अब दिवाली है आई
अंधेरों में रोशन उजाले है लाई.

है शुभ शुभ सुनहरा ये त्यौहार लोगों
जलाकर दिये वो जगाने है आई.

श्रद्धा से जो लक्ष्मी का पूजन किये है
वहीं बाँटने धन है लक्ष्मी जी आई.

करे विघ्न का नाश गणनाथ देवा
परे कष्ट करके करे है भलाई.

सदा माँ सरस्वती कृपा धारिणी बन
दे वर ज्ञान का हर किसी को है भाई.

खिलाओ और खाओ, दिवाली मनाओ
बने ढेर पकवान और रस मलाई.

ज़मीरों की जलती रहे शम्म हर पल
दुआ माँगने देवी दर पर है आई

देवी नांगरानी
9 नवंबर 2007

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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