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शुभ दीपावली

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दीवाली की रात में

रंग-बिरंगे दीप जले हैं, दीवाली की रात में।
अंधियारे पर हुई चढ़ाई, दीवाली की रात में।

अम्बर के जितने थे तारे
उतर पड़े धरती पर सारे।
जगमग करते तम को हरते
कभी नहीं हैं हिम्मत हारे।

खिलखिला रही फुलझड़ियाँ, मिलकर सबके साथ में।
रंग-बिरंगे दीप जले हैं, दीवाली की रात में।

छुटे पटाखे हुआ उजाला
खुशियों को बरसाने वाला।
बना टोलियाँ थिरक रही हैं
घर-द्वारे दीपों की माला।

खील-बताशे भी मुस्काए, बच्चों की बारात में।
रंग-बिरंगे दीप जले हैं, दीवाली की रात में।

आने लगा हवा का झोंका
अंधियारे ने उसको रोका
आज रात आराम करो तुम
दो नहीं बच्चों को धोखा।

नन्हें दीपों को हँसने दो, बैठ-बैठ कर पात में।
रंग-बिरंगे दीप जले हैं, दीवाली की रात में।

रामेश्वर दयाल कांबोज हिमांशु
२७ अक्तूबर २००८

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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