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शुभ दीपावली

अनुभूति पर दीपावली कविताओं की तीसरा संग्रह
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माटी के दीपक

आलिंगन कर आँधी का
तूफ़ानों को बाहों में भर ले
ओ नन्हें माटी के दीपक
सागर को पलकों में धर ले।

तेरे लिए नहीं आँचल की
ओट आसरा देने वाली,
ताल ठोकती लड़ने आई
तुझसे आज अमावस काली
जलता चल अँधियारों में
मद्धम प्रकाश का धीमा स्वर ले।

माना अँधियारों ने तुझ पर
बारंबार प्रहार किए हैं
इसीलिए तो हमने लाखों
सूरज तुझ पर वार दिए हैं
ले मेरे संघर्षों की धरती
अरमानों का अंबर ले।

-डॉ. सरिता शर्मा
16 अक्तूबर 2006

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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