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अभिव्यक्ति-तुक-कोश

९. २. २०१५-

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आश्वासनों के मन्त्र

 

लिख दिए दीवार पर
आश्वासनों के मन्त्र
सम्भावना की पंक्तियाँ
लिख दीजिये

चाहते ऊँचाइयाँ
ये हाथ बौने
चाटने को मिल रहे
दौने घिनौने
दावतों की
सूचियाँ भी देखिये

वंचकों के बीच में
वंचित बसे
काँटे फँसे हैं जूतियों में
पाँव हैं ठिगने कसे
खुरदरे पैताव
ढीले कीजिए

हैं पतंगें आपकी
ऊँची उड़ीं
हवा है तिरछी
उलटी दिशाओं में मुड़ी
डोर के कुछ पेंच
ऊँचे कीजिये

बंधनों को कर रहे
आप तो निर्बन्ध
प्रस्तावना में लिख दिए
शब्द शब्द निबन्ध
हाशिये पर अफसरों की
नोटिंगें भी देखिये

लम्बे सफर के
हम तुम्हारे हमसफर
प्रहरियों से चलेंगे
हर प्रहर
सामर्थ्य के शस्त्रास्त्र
तीखे दीजिये 

- डॉ. मनोहर अभय

 

इस सप्ताह

गीतों में-

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डॉ. मनोहर अभय

अंजुमन में-

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किशन साध

छंदमुक्त में-

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जयप्रकाश मानस

हाइकु में-

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मंजुल भटनागर

पुनर्पाठ में-

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सर्वेश शुक्ला



 

पिछले सप्ताह
२ फरवरी २०१५ के अंक में

गीतों में-

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सुरेश पांडा

अंजुमन में-

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मदन मोहन अरविंद

छंदमुक्त में-

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सुदर्शन वशिष्ठ

कुंडलिया में-

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त्रिलोक सिंह ठकुरेला

पुनर्पाठ में-

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डॉ. शैलेन्द्र कुमार सक्सेना

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प्रकाशन : प्रवीण सक्सेना -- परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन¸ कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन

सहयोग :
कल्पना रामानी