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अनुभूति में आदम गोंडवी की रचनाएँ-

नई रचनाओं में-
आप कहते हैं
ग़ज़ल को ले चलो
चाँद है जेरे कदम
जिसके सम्मोहन में
न महलों की बुलंदी से
भूख के इतिहास को

अंजुमन में-
काजू भुने प्लेट में
घर में ठंडे चूल्हे पर
तमाशा देखिए
मुक्तिकामी चेतना
विकट बाढ़ की करुण कहानी
वेद में जिनका हवाला

 

तमाशा देखिए

जिस्म क्या है रूह तक सब कुछ खुलासा देखिए।
आप भी इस भीड़ में घुसकर तमाशा देखिए।।

जो बदल सकती है इस दुनिया के मौसम का मिज़ाज़।
उस युवा पीढ़ी के चेहरे की हताशा देखिए।।

जल रहा है देश ये बहला रही है कौम को।
किस तरह अश्लील है कविता की भाषा देखिए।।

मत्स्यगंधा फिर कोई होगी किसी ऋषि की शिकार।
दूर तक फैला हुआ गहरा कुहासा देखिए।।

५ जनवरी २००९

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